मिटाना भी चाहूँ
तो भी मिटा नही सकता…!!
उसका नाम अपने दिल से…
क्यूंकि मिटाए तो वो जाते हैं
जो गलती से लिखे जाते हैं…!
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मिटाओगे कहा तक मेरी यादें, मेरी बातें…
मैं हर मोड़ पर लफ्जो की विरानी छोड़ जाउंगा….
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कुछ बातें कह दी जायें तो मुनासिब हैं……कि प्यार हो या नफरत ज़ाहिर हो जाये तो अच्छा है ..
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अब ऩ कोई हमे मोहब्बत का यकीन दिलाये,
हमें रूह में भी बसा कर निकाला है लोगो ने.
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ना तो अनपढ़ रहा और,
ना ही काबिल हुआ मैं…
खामखा ए इश्क तेरे स्कूल में,
दाखिल हुआ मैं…
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“मोहब्बत को मोहब्बत से मोहब्बत हो गयी,
मोहब्बत ही मोहब्बत पे फ़िदा हो गयी.
जब मोहब्बत को मोहब्बत की मोहब्बत न मिली तो.
मोहब्बत ही मोहब्बत पर फनाह हो गयी.”
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हम दोनों ही डरते थे, एक दूसरे
से बात करने मे
मुझे मोहब्बत हो गई थी इसलिए
और उसे मोहब्बत न हो जाए इसलिए …
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कदम लडखडाये तो पता चला की पी ली हैं …
वरना याद में आपकी,वैसे भी हम नशे में रहेत हैं..
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मैं तुझसे अब कुछ नहीं मांगूगा ए खुदा……
तेरी देकर छीन लेने की आदत मुझे पसंद नही…
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इतनी ठोकरे देने के लिए शुक्रिया, ए-ज़िन्दगी..
चलने का न सही,,,,सम्भलने का हुनर तो आ गया…
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इक बात हमेशा याद रखना…
तुम्हारे जीतने सौख है,
उतनी तो मेरी आदतें है …
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मरते तो तुझ पर लाखो होंगे……
मगर मै तो तेरे साथ जिना चाहता हुँ ।
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कुछ तो बेवफाई मुझ मे भी है…
जिंदा हुँ तेरे बगैर…!!
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हँस कर दर्द छुपाने की कारीगरी मशहुर हैं मेरी ।
पर कोई हुनर काम नही आता,
जब उनका नाम आता है ।
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बीमार ने किसी को याद करके मुस्कुरा दिया ,
दुनिया ने समझा ये दवावो का असर है ।
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हर नज़र से उम्मीद मत कर ऐ दिल!
प्यार से देखना किसी की आदत भी होती है…
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मरने की लाखो वजह देती है दुनिया
पर जीने की वजह तो बस एक तू है…
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मुकाम वो चाहिए की जिस दिन भी हारुँ,
उस दिन जीतने वाले से ज्यादा मेरे चर्चे हो।।
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दम तोड़ जाती है हर शिकायत लबो पर आकर..
जब वो मुस्कुरा कर कहती है “अरे मैनें किया क्या है”..
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मेरे हक में खुशियों की दुआ करते हो,,,,
तुम खुद मेरे क्यों नहीं हो जाते हो…!!!
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किस्मत ओर सुबह की नींद ,
कभी समय पर नहीं खुलती ….
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तासीर किसी भी दर्द की मीठी नही होती।।।
यही वजह है की आसू भी नमकीन होते है।।।
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किस्मत और पत्नी
भले ही परेशान करती है लेकिन
जब साथ देती हैं तो
ज़िन्दगी बदल देती हैं.।।
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इंसान को तब ही समझ में जीवन का सार आता है…
जब वह ज़माने से तो जीत, मगर खुद से हार जाता है…
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टूट कर बिखर जाते है वो लोग मिटटी की दीवारों की तरह,,,
जो खुद से भी जादा किसी और से मोहबत किया करते है..!
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मैं माथा कही भी टेक सकता हु,
पर घुटने नहीं……….
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“अरमान था तेरे साथ जिंदगी बिताने का,
शिकवा है खुद के खामोश रह जाने का,
दीवानगी इस से बढकर और क्या होगी,
आज भी इंतजार है तेरे आने का.”
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रात भर जलता रहा ये दिल उसी की याद
में,
समझ नहीं आता दर्द प्यार करने से होता हैं या याद करने से..
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मुफ्त में रिश्ते भी नही निभाते लोग…
मुफ्त तो यहाँ हवा भी नहीं मिलती…
एक साँस भी तब आती है…
जब एक साँस छोड़ी जाती है…
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कर्ज लेने की आदत तो ना थी हमारी ,
पर पता नहीँ दिल सदा ही उनके पास ही गिरवी क्युँ
रहता है ? ?
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” क्यूँ ना गुरुर करता मैं अपने आप पे,
मुझे उसने चाहा…
जिसके चाहने वाले हज़ारों थे…”
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इन शोहरतों में आ कर हम और तनहा हो गए,
तेरी यादें आते आते जाने कहाँ चली जाती है…..
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“जितनी भीड़ बढती जा रही है ज़माने में,
उतने ही लोग अकेले होते जा रहे है”
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आयने भि तुजे कम पसंद करते हे ,
क्युकि उसे भि पता हे तुजे हम पसंद करते हे..!!!
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तेरे लिए कभी इस दिल ने
बूरा नहीं चाहा..
ये और बात हैं के, मुझे
ये साबित, करना नहीं आया..!!
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कुछ यादें दे गये हैं कुछ धोखे दे गये हैं
जो कुछ भी दे गये हैं मेरे अपने दे गये हैं !
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फिर उसने मुस्कुरा के देखा मेरी तरफ़ !
फिर एक ज़रा सी बात पर जीना पड़ा मुझे ।
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ये बात और है कि इज़हार ना कर सकेँ..
नहीँ है तुम से मोहब्बत..भला ये कौन कहता है.
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सुन्दरता की प्रतिस्पर्धा अपने पुरे शबाब पे है….
आज एक चाँद दूसरे चाँद के इंतज़ार में है….!!
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क्या ऐसा नहीं हो सकता हम प्यार मांगे..
और तुम गले लगा के कहो.. और कुछ..??
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इसे लबों से चूमते हैं… ज़ुबाँ से छेड़ते
हैं…बूँद-बूँद… धीरे धीरे… ये शराब हैं
जनाब… इसे हम यूँ ही नहीं पीते..
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Monday, 16 March 2015
true life shayri... by Rana chahal
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