❤...ना ही मैं कबीर हूँ,ना ही में रहीम हूँ,*_
दीवाना हुँ शायरी का, बस ज़ख्मो से मैं अमीर हूँ...❤
❤...मुहब्बत करने से फुर्सत नहीं मिली यारों,**वरना हम
करके बताते नफरत किसे कहते हैं...❤
❤...जनाब मुजे मत सिखाओ मोहब्बत कि बाते,
जिन किताबो से तुमने मोहब्बत सिखी हे, वो किताबे हमने लिखी हे...❤
❤...सुना है तुम्हारी एक निगाह से कत्ल होते हैं लोग..
एक नज़र हमको भी देख लो.. ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती...❤
❤...मौत भी मुझे गले लगाकर वापिस चली गई बोली...
तुम अभी नही मरोगे प्यार किया है ना अभी और तडपोगे...❤
❤...थम सी जा तू भी ए जिंदगी अब।
वो ही जा चूका जिसके लिए तू चलती थी।...❤
❤...एहसास तो उसको भी बहुत है मेरी मुहब्बत का,
वो तड़पती इसलिए है की मैं और टूट के चाहूं उसे...❤
❤...टूटना ही लिखा हो मोतियों की किस्मत में।
तो धागा कितना मजबूत है फर्क नहीं पड़ता।...❤
❤...याद नहीं आई आज तुम्हें मेरी...
क्या महोब्बत में भी रविवार होता है... ...❤
❤...ये सोचकर हमने ख़ुद को बेरंग रखा है !
सुना है सादगी ही मोहब्बत की रूह होती है !!...❤
❤...जब रूह में उतर जाता है बेपनाह इश्क का समंदर,
लोग जिंदा तो होते है मगर किसी और के अंदर ...❤
❤...अजीब दस्तूर है, मोहब्बत का;
रूठ कोई जाता है, टूट कोई जाता है।...❤
❤...हाल तो पूछ लूँ तेरा पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी;
ज़ब ज़ब सुनी है कमबख्त मोहब्बत ही हुई है।...❤
❤...कर रहा था गम-ए-जहान का हिसाब;
आज तुम याद बेहिसाब आये।...❤
❤...यूँ तो मशहूर हैं अधूरी मोहब्बत के किस्से बहुत से;
मुझे अपनी मोहब्बत पूरी करके नई कहानी लिखनी है!...❤
❤...दगा दे जाये उसे यार नहीं कहते,
ख़ुशी न दे उसे बहार नहीं कहते,
बस १ बार धड़कता है दिल किसीके लिए,
जो दुबारा हो उसे प्यार नहीं कहते !...❤
❤...तुमसे ऐसा भी क्या रिश्ता हे?दर्द कोई भी हो.. याद तेरी ही आती हे।...❤
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