शायरी 36
शायरी
मैं फ़ूल पर रखी ओस की बून्द भी चुन लेता हूँ।
तुम निगाहों से कह देती हो ,
मैं निग़ाहों से सुन लेता हूँ।
शायरी 34
शायरी
दर किनार कर दिया है तुम्हे ख़्वाबों से मैंने ,
बस यही सोचकर
की तुम भी तो मुझे याद नहीं करती।
शायरी 33
शायरी
जिसे लिख न पाया वो शायरी हो तुम,
जिसे पढ़ना हे चाहा वो ग़ज़ल हो तुम,
सोचता हुँ,
की फ़ीर एक ख़त लिखुं तुम्हारे नाम,
पर अब कहाँ ख़बर की क़िस शहर हो तुम।
शायरी 31
शायरी
रास्ते अंधेरों से घिरने लगे।
हम मुसाफ़िरों से डरने लगे।
हम तन्हाइयों में मरने लगे।
वो ख़ुद से प्यार करने लगे।
शायरी 30
शायरी
अजी बेवफ़ा होते है वो लोग
जो छोड़ कर चले जाते है।
हम तो आशिक़ है।
हर अदा पर सौ बार मर जाते है।
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